कवि ऋतुपर्णो घोष की कविता, गीत और वैष्णव पदावली
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ब्रजबुली में लिखा हुआ वैष्णव पद
मेरे लाला आज ना जईयो यमुनार पार
बहु मनोरथे साजु अभिसारे पेहलु सुनील वेश
हिन्दी भाषा में लिखा हुआ वैष्णव पद
कान्हां संग खेले होली आज ब्रिजपुर
सुबह-सुबह मथुरा नगरपति काहे तुम गोकुल जाओ
हिन्दी भाषा में लिखा अन्य गीत
कैसी अजीब दावत है ये
हाय कितने बरस बीते तुम घर ना आये रे
शाम ढले सखिया सब लौट गयी सारी
हमारी गलियाँ होके आना
(बिलंबित)
हमारी गलियाँ होके आना
(द्रुत)
नौ साढ़े नौ बरस का जुग जिये माई वाला
हाय कितने बरस बीते तुम घर ना आये रे (राह देखे)
मिलनसागर
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কবি ঋতুপর্ণ ঘোষের মূল পাতা বাংলা . . .
क
वि ऋतुपर्णो घोष के मूल पन्ना हिन्दी
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কবি ঋতুপর্ণ ঘোষের বাংলা
কবিতার সূচী
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