गीत और कव्वालियाँ बहुत कठिन है डगर पनघट की । कैसे मैं भर लाउं मधवा से मटकी ? पनिया भरन को मैं जो गइ थी । दोड़ झपट मोरा मटकी पटकी । खुसरो निजाम के बल बल जाईय्ये । लाज रखो मोरे घुंघट पट की ।
छाप तिलक सब छीनी रे मोसे नैना मिलाएके प्रेम भटी का मधवा पिलाके मतवारी करलीनी रे गोरी गोरी बय्यां हरी हरी चूरीयां बय्यां पकड़ धरलीनी रे मोसे नैना मिलाएके बल बल जाऊं मैं तोरे रंग रेजवा अपनी सी करलीनी रे मो से नैना मिलाएके खुसरो निजाम के बल बल जाईय्ये मोहे सुहागन कीनी रे मो से नैना मिलाएके
अम्मा मेरे बाबा को भेजो री - कि सावन आया बेटी तेरा बाबा तो बूढ़ा री - कि सावन आया अम्मा मेरे भाई को भेजो री - कि सावन आया बेटी तेरा भाई तो बाला री - कि सावन आया अम्मा मेरे मामू को भेजो री - कि साबन आया बेटी तेरा मामु तो बांका री - कि सावन आया
सकल बन (सघन बन) फूल रही सरसों, सकल बन (सघन बन) फूल रही.... अम्बवा फूटे, टेसू फूले, कोयल बोले डार डार, और गोरी करत शृंगार, मलनियां गढवा ले आइं करसों, सकल बन फूल रही... तरह तरह के फूल खिलाए, ले गढवा हातन में आए । निजामुदीन के दरवाजे पर, आवन कह गए आशिक रंग, और बीत गए बरसों । सकल बन फूल रही सरसों ।
बाला था जब मन को भाया बड़ा हुआ कुछ काम न आया सुसरो कह दिया उस का नाव बूझे नहीं तो छोड़े गाँव उत्तर - दिया
************************** ************************** एक गुनी ने यह गुन कीना हरियल पिंजरे मे देदीना देखो जादूदर का कमाल डाले हरा निकाले लाल उत्तर - तोता
घूम घुमेला लहँगा पहिने, एक पाँव से रहे खड़ी आठ हात हैं उस नारी के, सूरत उसकी लगे परी । सब कोई उसकी चाह करे है, मुसलमान हिन्दू छत्री । खुसरो ने यह कही पहेली, दिल में अपने सोच जरी । उत्तर - छतरी