पेड़ इंसान को शिक्षा दे रहा है अखिलेश शर्मा बैठा था छोटे से गँव में एक पेड़ की छांव में। किसी की राह में। ओसी की चाह में। पेड़ मुझसे बोला है तु कितना भोला पेड़ की लहलहाती डालियों देखकर दिल कह रहा था मुझसे हंस-हंस कर। तु तेरी धरती मँ की है डाली जिसे तु ने दी है गाली। अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है तेरा कहना मान ले तु मेरा तु उठ कर देख इस संसार को दूर का भ्रष्टाचार और दुराचार को तु ही है इस जगत का रखवाला और कोई नहीं इसे सम्भालने वाला। तु बहुत कुछ कर सकता है लेकिन ना जाने किससे तु डरता है। तु मुझसे ले कुछ शिक्षा मैं नहीम मांगता किसीसे भिक्षा दुसरों को देता हूँ हवा, छाया और मीठे फल लेकिन मुझे नहीं डालता कोइ एक बाल्टी जल। देख फिर भी मेरी जड़ें है कितनी मजबुत तुझे मिल जायेगा मेरी ताकत का सबूत। तु तो इंसान है, बोलता है, खाता है, पीता है, फिर भी जानवरों की तरह जीता है। अपने आपको बना इस काबिल कि सदियों तक तुझे याद रखे हर दिल। ************* . उपर मिलनसागर |
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एकता में अनेकता अखिलेश शर्मा अखिलेश है नाम मेरा लोगों का दिल जितना काम है मेरा दिल की बात जुबान से नहीं कहता चलाता हूँ कलम से अपना दिमाग सच्ची राह पर चलने वालों के लिये ठण्डा पानी और गलत रास्ते पर चलनें वालों के लिये एक धधकती आग मैं खुद नहीं जानता गुजर रहा हूँ किस कहर से ना जाने क्यों लोग डर जाते हैं एक छोटी सी लहर से किसी की सूनता नहीं किसी से कुछ कहता नहीं बनाता हूँ अपना अलग रास्ता मंजिल मिलेगी पुरा है विश्वास यही दृढ़ संकल्प लेकर करता हूँ अपना प्रयास अपनी अलग पहचान बनाने की आदत है मुझे। अपने बनाये रास्ते पर चलनें की आदत है मुझे। आँख से देखोगे तो खुली किताब हूँ मैं और सपने में देखोगे तो सिर्फ एक ख्वाब हूँ मैं। खत्म कर दूँगा अंतर मैं पूजा, अर्चना और अजान में तभी सच्चा स्वर्ग देखूंगा मैं अपने हिन्दूस्तान में। चंद मूर्खों की वजह से हो रहा है पूरा देश बरबाद गरीब और गरीब और अमीर होता जा रहा है आबाद बड़ा दूँगा लोगों के दिल में इतना भाइचारा की मुसलमान को हिन्दू लगैगा अपना भाइ और हिन्दू को मुसलमान लगेगा प्यारा तभी कहलायेगा हिन्दूस्तान हमारा खुदा ने बनाया सभी को समान फिर क्या हिन्दू और क्या मुसलमान एक ही भाषा समझो सबसे पहले इंसान क्योंकि अखिलेश है नाम मेरा लोगों का दिल जीतना है काम मेरा। ************* . उपर मिलनसागर |