आगे – आगे चलना चाहता हूँ, पर राह में, पत्थर, कांटे रास्ता रोक खड़े, पर उनसे क्या घबराना, जब मन में कोई मशाल हो।
जो सोचा, उस लक्ष्य की ओर बढ़ा कदम उसे पाना चाहता, पर राह में, दुविधाओं का बवंडर रास्ता रोके खड़े, पर उनसे क्या घबराना, जब मन में उस लक्ष्य का भूचाल हो।