कप्तान राम सिंह ठाकुर का जन्म धर्मशाला के निकट भागसु खनियारा गाँव में हुआ था ।
पिता हविलदार दलिप सिंह जिनके परवरीश ने उन्होंने फौजी बनने की प्रेरणा दी। लेकिन उनके दादाजी (माँताजी के पिता) नथु चंद ने उन्हे संगीत सिखने का प्रेरणा दिया। बाद में उन्होंने अंग्रेजी ब्रास बैंड के संगीतज्ञ हाडसन और डानिश से भी तालिम ली। उन्होने भायलिन सिखा कप्तान रोज़ से।
1927 में, मिडल एक्ज़ाम पास करने के बाद राम सिंह ने सेकेंड गोर्खा ब्रिगेड के बैंड में दाखिल हो गये। 1941 में कम्पनी हविलदार मेजर बनाकर उन्हे सिंगापुर और मलाया में जापानीओँ के विरुद्ध लड़ाई में भेज दिया गया। डिसम्बर 1941 को मलाया-थाइलैंड के सीमा पर, और भी 200 जवानों के साथ जापानीयों ने उन्हें भी बन्दी बना लिया।
15 फरवरी 1942 को जापान नें सिंगापुर पर कब्जा जमा लिया। सारे भारतीय बन्दीयों ने रासबिहारी बोस के द्वारा संघटित तथा नेताजी सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व मे आज़ाद हिंद फौज में योगदान किया और भारत के स्वतंत्रता के युद्ध मे शामिल हो गये।
नेताजी ने राम सिंह के मेघा की स्च्ची पहचान करते हुये, उन्हे कौमी तराना (National Anthem) तैयार करने को कहा। नेताजी सुभाषचन्द्र बोस, अबीद हासान और आज़ाद हिंद के उच्च अधिकारीयों ने मिलकर गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर की “जन गण मन” गीत की हिंदी में अनुवाद किया जिसको राम सिंह ने संगीतबद्ध किया। इस कौमी तराना को 31 अक्तुबर 1943 को सिंगापुर के कैथे बिल्डिङ में शान व शौकत के साथ गाया गया।आज़ाद हिंद फौज के विचार के समय राम सिंह उन दिनों दिल्ली के काबुल लाइन कैन्टनमेंट मे बन्दी थे। एक शाम महात्मा गांधी सारे INA बन्दीओं से मिलने आये थे। इसि समय राम सिंह को बापू को क़ौमी तराना सुनाने का अवसर मिला था। 15 अगस्त 1947 मध्यरात्री पर हम आज़ाद हुए। सुबह लालकीले पर नेहरुजी ने तिरंगा फहराया और राम सिंह को आमन्त्रण किया गया वहां पर क़ौमी तराना गाने के लिये ।
बाद में 24 जनवरी 1950 को संविधान के तहद वर्तमान कौमी तराना “जन गण मन”, गुरुदेव रबीन्द्रनाथ ठाकुर की “जन गण मन” गीत की आदी रूप में ही (गुरुदेव की अपनी कथा एवं सुर में) स्वीकार किया गया।
इसके अलावा आज़ाद हिंद फौज के सारे गाने भी राम सिंह के धुन पर ही है।
उनका लिखा हुआ “सबसे उँचा है दुनिया में झंडा हमारा”, “हे वीर बालक हो जाति लइ सुधार” जैसे गाने आज भी हमें उस अग्नि-युग के याद दिलाते हैं। लेकिन जो गीत कप्तान राम सिंह ठाकुर को अमर कर दिया वह है उन्ही का लिखा हुआ तथा उन्हीके दिया हुआ घुन पर गीत – “कदम कदम बढ़ाये जा”।
सेकेंड लेफ्टिनेन्ट मुस्ताक़ अहमद का लिखा हुआ “क़ौमी तिरंगे झंडे उँचा रहे जहाँन में”, सेकेंड लेफ्टिनेन्ट कल्याण सिंह हजरत का लिखा हुआ “हिंद सिपाही, हिंद सिपाही”, मुमताज हुसेन का लिखा हुआ “सुभाषजी सुभाषजी व जान-ए-हिंद आ गये” और “हम देहली देहली जायेंगे”, जी.एस.धिल्लों का लिखा हुआ “उठो सोये भारत के नसीबों को जगा दो”, फ्लाइट लेफ्टिनेंट प्रकाश सिंह का लिखा हुआ “जय हो महादेश हमारा” और “हम भारत की बेटी है अब उठा चुकी तलवार” आदि आज़ाद हिंद फौज के गीत भी उन्हिके संगीत पर सजा हुआ है ।
1944 में नेताजी ने राम सिंह को एक स्वर्ण पदक से भूषित किया, जो जनरल लोकानन्द ने रंगून में 23 जनवरी 1944 को प्रदान किया। आज़ादी के लड़ाई के दौरान, नेताजी ने राम सिंह को एक भायलिन उपहार देकर कहा था कि ... "राम सिंह, ये भायलिन आज़ाद हिन्दोस्तान में भी बजेगा!" और वह बात सच होकर ही रहा।
आज़ादी के बाद 1948 में उन्हे, उनके बैंड के साथ उत्तर प्रदेश के पि.ए.सि. बैंड में शामिल कर लिया गया।उनके अवदान के लिये उंहे आजीवन डि.एस.पि. का रैंक से सम्मानित किया गया। भारत, उत्तर प्रदेश तथा सिक्किम सरकार भी उन्हे कइ पुरस्कारों से सम्मानित किया।
. स्वीकार - Rajendra Rajan, A tribute to the legendary composer of National Anthem . Chalo Dehli, a Cassette of INA songs by Netaji Research Bureau, Kolkata
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