तुम्हारा ख्याल ज़ीने नहीं देता मुझे..... "कल रात ख्वाबों के शहर मैं भटकते भटकते बहुत दूर तक निकल आया था.... सुनसान पड़े सड़क मैं दूर दूर तक कोई नज़र नहीं आ रहा था, ख्यालों मैं तुम थी बस....जा रहा था अपनी धुन मैं... अकेले. सामने दोराहा देख कर सोचा किस और जाऊं..... ना चाहते हुए भी राईट साइड को मुड गया ..कुछ कदम चलते ही अचानक से एक नुक्कड़ पै तुम्हारी शक्ल से मिलती हुई शक्ल से रूबरू हुआ मैं. वही बड़ी-बड़ी आँखें, वही चेहरा,......सब कुछ तो तुम्हारी तरहा ही था, मेरे सुस्त पड़े कदम अचानक से तेज़ हो गये..... पास आके देखा तो तुम्हारे इस हसंते हुए चेहरे पै उदासी के ये बादल पहली बार देखा था मैने.... शायद उदास थी तुम ...किसी के इंतजार कर रही थी .... मैने पास आके पूछा ....."केसी हो तुम ? क्या तुम मेरा इंतजार कर रही हो आज भी ...?? क्या तुम अब भी नाराज़ हो मुझसे ..?? याद तो मेरी आती हो होगी ना..??? और भी ना जाने कितने सवालात कर बैठा था एक साथ मैं तुमसे.... बहुत सारी बातें जो करनी थी तुमसे..... ...तुम खामोश थी... कुछ पल इंतजार किया की तुम अब तो कुछ कहोगी, अपनी खमोशी को जुबां दोगी......तुमने अपनी पलकों को उठा कर देखा मुझे... मेरे चहेरे कि रौनक देखने लायक थी उस पल ....तुम अब भी खामोश थी . शायद कुछ सोच रही थी तुम..! शायद मेरे सवालो का ज़वाब जो देना था तुम्हें..... ज्यूँ ही आगे बड़ा तुम्हें छुने के लिए .....सामने पड़े पत्थर से टकरा गया .. सामने देखा .तो वहां ना तुम थी ना कोई ख़्वाब....उजाले मैं आके देखा तो ...... पैर से खून रिस रहा था.....शायद पत्थर नुकीला था..... तुम्हारा ख्याल जो अब तक दिल जलता था...अब ना जाने क्या क्या जलाएगा ....... ये तुम्हारा ख्याल ज़ीने नहीं देता है मुझे.............!!!" (तुम्हारी तलाश मैं भटक रहां हूँ ख्वाबों-ख्यालो में दर-बदर ) सिर्फ तुम्हारा ...... ( मनीष मेहता ) . ************* . उपर मिलनसागर |
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तुम्हारा ख्याल ..!!! कल रात छत पै बैठा था, तन्हाँ ....... हाथों में सिगरेट थी और ख्यालो में तुम...... तुम रोज़ कि तरहा मुझसे मस्तियाँ कर रही थी .. में बादतन मुस्कुरा रहा था .. सिगरेट के छल्लो में तुम्हारी तस्वीर बनती नज़र आ रही थी ......... ये सोच के कि, तुम्हारी शक्ल धुंधली.... ना पड़ जाए इसलिए जल्दी जल्दी में सिगरेट की कश ले रहा था.... और सिगरेट के छल्ले बना रहा था.. श्श्स्श होंठ जला बैठा था... उंगलियो के साथ ....... सिगरेट पूरी जल जो गई थी .. उफ्फ्फ्फ़ तुम्हारा ख्याल भी ना अब तक सिर्फ दिल जलाता था अब ना जाने क्या क्या जलाएगा... तुम्हारा मनीष मेहता . ************* . उपर मिलनसागर |
तुम्हारा ख्याल.........और ये बारिश ..... याद है तुम्हें ....पिछले बरस का वो मोसम . कितना प्यार लेके आया था तुम्हारे और मेरे जीवन में........ उस पल को तो यूँ लगा था कि शायद ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र जायेगी हर पल तुम्हरे खयालो में खोये रहना, कितना शुकून देता था मुझे.... खुद से बातें करना, कभी हँसना तो अचानक से खामोश सा हो जाना.. घंटो बारिश में भीगना.. मीलों, पैदल चलना.... उस बरस का हर दिन खुशनुमा सा लगता था.. ना जाने क्यूँ... अबके बरस बारिश कि बूंदों के पड़ते ही... घर में छुप जाता हूँ सहमा सहमा सा रहता हूँ....... अपने कमरे के झरोखों से अक्सर झाकता रहता हूँ बाहर.. लोगों को भीगते देखता हूँ..... तो तुम्हारा ख्याल .. आसूओं कि बरसात सी कर देता है.. लगता है... अबके बरस ये बारिश भी कुछ कम बरसी मेरे घर या मेरे आँशुओं ने उन्हें बरसने ना दिया... शायद तुम जो नहीं वो अब के बरस.. उफ्फ्फ्फ़ तुम्हारा ख्याल ....या ये बारिश तुम्हारा मनीष मेहता . ************* . उपर मिलनसागर |