पिता के घर पैदा होती, माता के घर पलती है। किसी की बेटी, किसी की बहन, नातिन, पोती कहलाती है। रक्षाबंघन के दिन, भाई को बहुत सताती है। उसका प्यार देख, हमारी आँथ भर जाती है। फिर एक दिन सबको रुलाती, वो जब ससुराल जाती है। देखते देखते कितने रिश्ते, उसके संग जुड़ जाते हैं। किसी की पत्नी, किसी की बहू, किसी की भाभी बन जाती है। अपने प्यार के बल से वो, सबका दिल लुभाती है। देखते देखते ही वो, सबके दिल पर छा जाती है। खुशियां सबके साथ बांटती, स्वयं ग़म सह लेती है एक समय ऐसा आता है, वो माँ बन जाती है। पाल पोस कर बच्चों को, एक दिन बड़ा बनाती है इसलिए ही औरत, देवी कहलाती है।