कवि प्रदीप के गीत
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कवि
प्रदीप
का परिचिति . . .
अपनी माता के दुलारे बच्चे
अमृत और जहर दोनों है
आंखों से दूर दूर है
आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी हिंदुस्तान की
इनसान का इनसान से हो भाईचारा
ऐ मेरे वतन के लोगो
उपर गगन विशाल
कहां है हम आज मत पूछो
कान्हा बजाए बांसुरी और ग्वाले बजाए मंजीरे
कैसे आए है दिन हाय अंघेरे के
कैसे मनाए दिवाली हम लाला
चल अकेला, चल अकेला, चल अकेला
जगत भर की रोशनी के लिए
तेरे होते हुए आज मैं लुट रही
दे दी हमें आजादी बिना खडग बिना ढाल
भागवत, भगवान की है आरती
मोहे लागा, लागा लागा लागा
सुनो रे भैया हम लाए हैं एक खबर मस्तानी
मिलनसागर
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