कवि साहिर लुधियानवी का गीत
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किसी पत्थर की मूरत से
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - हमराज़
किसी पत्थर की मूरत से मुहब्बत का इरादा है
परसतिश का तमन्ना है इबादत का इरादा है
कोई दील की चाहत से मजबूर है
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - चार दिल चार राहें
कोई दील की चाहत से मजबूर है
जो भी है वो ज़रूरत से मजबूर है
ख़ूदाए बरतर तेरी ज़मीं पर
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - ताजमहल
ख़ूदाए बरतर तेरी ज़मीं पर
ज़मीं की ख़ातिर ये जंग क्यूं है
हर एक फ़तहो ज़फ़र के दामन पे
ख़ूने इंसा का रंह क्यूं है
गुस्से में जो निखरा है
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - दिल ही तो है
गुस्से में जो निखरा है, उस हुस्न का क्या कहना
कुछ देर अभी हमसे, तुम यूंही ख़फ़ा रहना
इस हुस्न के शोले की, तस्वीर बनालें हम
ग़ैरों पे करम अपनों पे सितम
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - आंखें
ग़ैरों पे करम अपनों पे सितम
ऐ जाने वफ़ा ये ज़ुल्म ना कर
रहने दे अभी थोड़ा सा भरम
ऐ जाने वफ़ा ये ज़ुल्म ना कर
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - हमराज़
चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाएं हम दोनों
न मैं तुम से कोई उमीद रखुं दिलनवाज़ी की
न तुन मेरी तरफ़ देखो ग़लत अंदाज़ नज़रों से
चांद तकता है इधर
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - दूज का चांद
चांद तकता है इधर, आओ कहीं छुप जाएं
कहीं लागे न नज़र, आओ कहीं छुप जाएं
चांद तकता है इधर, आओ कहीं छुप जाएं
फूल शाखों से झुके जाते हैं, होंठों की तरफ़
चुड़ा ले न तुमको, ये मौसम सुहाना
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - दिल ही तो है
चुड़ा ले न तुमको, ये मौसम सुहाना
खुली वादियों में अकेली न जाना
लुभाता है मुझको ये, मौसम सुहाना
मैं जाऊंगी तुम मेरे पीछे न आना...
बग़ावत का खुला पैग़ाम देता हुं जवानों को
(जय जननी, जय भारत मां)
गीतकार – साहिर लुधियानवी
फिल्म - धर्मपुत्र
बग़ावत का खुला पैग़ाम देता हुं जवानों को
उठो दक्खन के सीने से, उठो बंगाल के दिल से
निकालो अपनी धरती से विदेशी हुक्मरानों को
ख़िज़ा की कैद से उजड़ा वतन आज़ाद करना है
ज़िन्दगी ज़ुल्म सही जब्र सही
गीतकार – साहिर लुधियानवी
ज़िन्दगी ज़ुल्म सही जब्र सही ग़म ही सही
दिल की प़रियाद सही रूह का मातम ही सही
हमने हर हाल में जीने का क़सम खाई है
अब यही हाल मुक़द्दर हो तो शिकवा क्यों हो