कवि साहिर लुधियानवी का गीत
गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – अनिल विश्वास
गायक – मुकेश और साथी
फिल्म – चार दिल चार राहें


साथी रे साथी रे साथी रे
कदम, कदम से, दिल से दिल मिला रहे हैं हम
वतन में एक क्या चमन खिला रहें है हम।
हम आज नींव रख रहे हैं उस निजाम की
बिके न जिन्दगी जहां किसी गुलाम की।
लुटे न मेहनत पीसे हुए आवाम की,
नभर सके तिजोरियां कोई हराम की।
हर एक ऊंच नीच को मिटा रहे हैं हम,
हमारे बाजुओं में आंधियों का जोर है,
हमारी धड़कनों में बादलों का शोर है।
हमारे हाथ में वतन की बागडोर है,
न बचके जा सकेंगे, जिनके दिल में चोर है।
सुनो कि अपना फैसला सुना रहे हैं हम
विदेशी लूट की जगह देसी लूट क्यों
सफेद झूट की जगह सियाह झूट क्यों।
वतन सभी का है, तो वतन में फूट क्यों
समाज दुशमनों को मिल रही है छूट क्यों ?
खुली सभा में यह सवाल उठा रहे हैं हम
उठा लिया है अब समाजवाद का मिशन,
अलग अलग न होगी, अब हमारी खेतियां।
चलेगी सबके वास्ते मिलों की चर्खियां
जमां से आसमां तक उलक उठेगी चिमनियां
कहा था जो वो करके अब दिखा रहे है हम।
उठें वो नौजवान जिनको प्यार चाहिए।
बड़े वो दुलहने जिन्हें सिंगार चाहिए।
चले वो गुलिस्तां जिन्हें निखार चाहिए,
सुने वो बस्तियां जिन्हें बहार चाहिए।
कि जिंदगी को उसका हक़ दिला रहे हैं हम।
यह रास्ता सुनहरी मंजिलों को जाएगा,
यह रास्ता खुशी की बस्तियां बसाएगा,
बिछड़ गए थे जो उन्हे क़रीब लाएगा,
यह रास्ता वो है जो दिल से मिलेगा।
कि अब तमाम फासले मिटा रहे हैं हम
जो हम चले तो जिंदगी का कारवा चले,
नई हवा, नई फिज़ा, नया समा चले।
जमीं के पांव चूमने को आसमां चले
कि सब जहां को रास्ता दिखा रहे हैं हम।
कदम, कदम से, दिल से दिल मिला रहे हैं हम


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मिलनसागर
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गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – सचिन देब बर्मन
गायक – महम्मद रफी
फिल्म – प्यासा

ये महलों, ये तख्त, ये ताजों की दुनिया
ये इंसां के दुशमन, समाजों की दुनिया
ये दौलक के भूखे, रिवाजों की दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए ते क्या है !

हर एक जिस्म घायल, हर एक रूह प्यासी
निगाहों मे उलफत, दिलों में उदासी
ये दुनिया है आलमे बदहवासी
ये दुनिया अगर मिल भी जाए ते क्या है !

जहां इक खिलौना है इंसां की हस्ती
यह बस्ती है मुरदा-परस्तों की बस्ती
यहां पर तो जीवन से है मौत सस्ती
ये दुनिया अगर मिल भी जाए ते क्या है !

जवानी भटकती है बदकार बनकर
जवां जिस्म सजते हैं बाजार बनकर
जहां प्यार होता है व्यापार बनकर
ये दुनिया अगर मिल भी जाए ते क्या है !

ये दुनिया जहां आदमी कुछ नहीं है
वफा कुछ नहीं, दोस्ती कुछ नहीं है
जहां प्यार की कद्र ही कुछ नहीं है
ये दुनिया अगर मिल भी जाए ते क्या है !

जला दो, इसे फूंक डालो ये दुनिया
मेरे सामने से हटालो ये दुनिया
तुम्हारी है तुम ही सम्भालो ये दुनिया
ये दुनिया अगर मिल भी जाए ते क्या है !


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मिलनसागर
*
गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – खैयाम
गायक – मुकेश और लता मंगेशकर
फिल्म – कभी कभी

कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है
कि जैसे तुझको बनाया गया है मेरे लिए
तू अब से पहले सितारों में बस रही थी कहीं
तुझे ज़मीं पे बुलाया गया है मेरे लिए

कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है
कि ये बदन ये निगाहें मेरी अमानत है,
ये गेसुओं की घनी छांव है मेरी खातिर
ये होंठ और ये बांहें मेरी अमानत है,

कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है
कि जैसे बजती है शहनाईयाँ-सी राहों में
सुहाग रात है घूंघट उठा रहा हूँ मै
सिमट रही है तू शरमा के अपनी बांहों में

कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है
कि जैसे तू मुझे चाहेगी उम्र भर यूं ही
मैं जानता हूँ तू गैर है मगर फिर भी यूं ही
कभी-कभी मेरे दिल में खयाल आता है

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मिलनसागर
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गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – जयदेव
गायक – आशा भोंसले और महम्मद रफी
फिल्म – हम दोनो

अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं
अभी अभी तो आई हो बहार बनके छाई हो
हवा जरा महक तो ले नजर जरा बहक तो ले
यह शाम ढल तो ले जरा यह दिल सम्भल तो ले जरा
मैं थोड़ी देर जी तो लूँ नशे के घूँट पी तो लूँ
अभी तो कुछ कहा नहीं अभी तो कुछ सुना नहीं
अभी न जाओ छोड़ कर कि दिल अभी भरा नहीं

सितारें झिलमिला उठे चराग जगमगा उठे
बस अब ना मुझको टोकना न बढ़के राह रोकना
अगर मैं रुक गई अभी तो जा ना पाऊंगी कभी
यही कहोगे तुम सदा कि दिल अभी भरा नहीं
जो खत्म हो किसी जगह यह ऐसा सिलसिला नहीं
अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं

अधूरी आस छोड़के अधूरी प्यास छोड़के
जो रोज यूँही जाओगी तो किस तरह निभाओगी
कि जिन्दगी की राह में जवां दिलों की चाह में
कई मकाम आएंगे जो हमको आजमाएंगे
बुरा न मानो बात का यह प्यार है गिला नहीं
अभी न जाओ छोड़कर कि दिल अभी भरा नहीं

जहां में ऐसा कौन है, कि जिसको गम मिला नहीं
दुख और सुख ते रास्ते बने हैं सबके वास्ते
जो गम से हार जाओगे तो किस तरह निभाओगे
खुशी मिले हमें कि गम जो होगा बांट लेंगे हम
मुझे तुम आजमाओ तो जरा नजर मिलाओ तो
यह जिस्म दो सही मगर, दिलों में फासला नहीं
तुम्हारे प्यार की कसम तुम्हारा गम है मेरा गम
न यूं बुझे बुझे रहो जो दिल की बात है कहो
जो मुझसे भी छुपाओगे तो फिर किसे बताओगे
मैं कोई गैर तो नहीं दिलाऊं किस तरह यकीं
कि तुमसे मै जुदा नहीं, मुझसे तुम जुदा नहीं


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मिलनसागर
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गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – जयदेव
गायिका – लता मंगेशकर
फिल्म – मुझे जीने दो

रात भी है कुछ भीगी भीगी
चांद भी है कुछ मद्घम मद्धम
तुम आओ तो आँखें खोलें
सोइ हुई पायल की छम छम

किसकों बताएं कैसे बताएं
ज अजब है दिल का आलम
चैन भी है कुछ हलका हलका
दर्द भी है कुछ मद्धम मद्धम

तपते दिलों पर यूं गिरती है
तेरी नजर से प्यार की शबनम
जलते हुए जंगल पर जैसे
बरखा बरसे रुक रुक थम थम

होश में थोड़ी बेहोशी है
बेहोशी में होश है कम कम
तुझको पाने की कौशिश में
दोनों जहां से खोए गए हम


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मिलनसागर
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गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – रवि
गायिका – आशा भोंसले
फिल्म – वक्त

आगे भी जाने न तू
पीछे भी जाने न तू
जो भी है बस यही इक पल है
अनजाने सायों का राहों में डेरा है
अनदेखी वाहों ने हम सबको घेरा है
यह पल उजाला है बाकी अन्धेरा है
यह पल गंवाना न यह पल ही तेरा है
जीने वाले सोच ले
यही वक्त है कर ले पूरी आरजू
आगे भी जाने न तू पीछे भी जाने न तू ....
स पल के जलवों में महफिल संवारी है
इस पल की गरमी नें धड़कन उभारी है
इस पल के होने से दुनिया हमारी है
यह पल जो देखो ते सदियों पे भारी है
जीने वाले सोच ले यही वक्त है कर ले पूरी आरजू
आगे भी जाने न तू पीछे भी जाने न तू ....
इस पल के साये में अपना ठिकाना है
इस पल के आगे की हर शौ फसाना है
कल किसने देखा है कल किसने जाना है
इस पल से पाएगा जो तुझको पाना है
जीने वाले सोच ले यही वक्त है कर ले पूरी आरजू
आगे भी जाने न तू पीछे भी जाने न तू ....

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मिलनसागर
*
गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – रवि
गायक – महेन्द्र कपूर
फिल्म – हमराज

नीले गगन के तले घरती का प्यार पले
ऐसे ही जग में, आती है सुबहें, ऐसे ही शाम ढले
नीले गगन के तले घरती का प्यार पले
शबनम के मोती, फुलों पे बिखरें, दोनों की आँस फले
बलखाती बेलें, मस्ती में खेले, पेड़ों से मिलके गले
नदिया का पानी, दरिया से मिलके, सागर की ओर चले


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मिलनसागर
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गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – मदन मोहन
गायक – महम्मद रफी
फिल्म – रेलवे प्लेटफार्म

बस्ती बस्ती परबत परबत गाता जाए बंजारा
लेकर दिल का एकतारा . . .
पल दो पल का साथ हमारा पल दो पल की यारी
आज रुके तो कल करनी है चलने की तैयारी
कदम कदम पर होनी बैठी अपना जाल बिछाए
इस जीबन की राह में जाने कौन कहां रह जाए
घन दौलत के पीछे क्यों है यह दुनिया दीवानी
यहां की दौलत यहीं रहेगी साथ नहीं यह जानी
सोने चाँदी में तुलता हो जहां दिलों का प्यार
आँसू भी बेकार वहां पर आहें भी बेकार
दुनिया के बाजार में आखिर चाहत भी ब्योपार बनी
मेरे दिल से उनके दिल तक चाँदी की दीवार बनी
हम जैसों के भाग में लिखा चाहत का वरदान नहीं
जिसने हम को जनम दिया वो पत्थर है भगवान नहीं
बस्ती बस्ती परबत परबत गाता जाए बंजारा
लेकर दिल का एकतारा . . .


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मिलनसागर
*
गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – रवि
गायक – मन्ना दे और साथी
फिल्म – वक़्त

ऐ मेरे जौहरजबीं,
तुझे मालूम नहीं
तू अभी तक है हंसी
और मैं जवान
तुझपे कुरबान मेरी जान-मेरी जान

ये शोखियां, ये बांकपन, जो तुझमें है, कहीं नहीं
दिलों को जीतने का फ़न, जो तुझमे है, कहीं नहीं

मै तेरी, आँखों में पा गया दो जहां
मै तेरी, आँखों में पा गया दो जहां
ऐ मेरे जौहरजबीं, तुझे मालूम नहीं . . .

तू मीठे बोल जानेमन,
जो मुस्कुरा के बोल दे
तू मीठे बोल जानेमन,
जो मुस्कुरा के बोल दे
तो धड़कनों में आज भी, शराबी रंग घोल दे

ओ सनम,
ओ सनम मैं तेरा आशिक जाविदां
ओ सनम,
ओ सनम मैं तेरा आशिक जाविदां

ऐ मेरे जौहरजबीं,
तुझे मालूम नहीं
तू अभी तक है हंसी
और मैं जवान
तुझपे कुरबान मेरी जान-मेरी जान

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मिलनसागर
*
गीतकार – साहिर लुधियानवी
संगीतकार – हेमन्त कुमार
गायक – लता मंगेशकर और साथी
फिल्म – एक ही रास्ता

चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली
नैना बावरिया, मन में सांवरिया
चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली . . .
डार के कजरा, लट बिखरा के
ढलते दिन को रात बना के
कंगना खनकाती, बिंदिया चमकाती
छम-छम डोले, सजना की गली
चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली . . .

कोमल तन है, सौ बलखाया
हो गइ बैरन, अपनी ही छाया
घुंघट खोले न, मुख से बोले न
राह चलत संभली-संभली
चली गोरी पी से मिलन को चली
चली गोरी पी से मिलन को चली . . .


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मिलनसागर
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