कवि काजी नज़रुल इसलाम बंगाल के "विद्रोही कवि" कहलाते हैं। उनका नाम
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर का साथ ही लिया जाता है। उनका कविता भारत के स्वतंत्रता
संग्राम मे हतियार एवं इंधन का रूप में उंभर आया था। उनके कई गीत अंग्रेज सरकार
द्वारा बैन कर दिया गया था।
वे कवि होने के साथ साथ एक अव्वल दर्जे के संगीतकार भी थे। अनका दिया हुआ
सूरों के गीतों को "नज़रुल गीती" कहलाते हैं। उनके गीत तथा कविताओं का संख्या,
गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर से अधिक है। गीतों के विषय भी बहुत विस्तार से है।
देशभक्ति से भरा हुआ उनके कविता एवं गीत बंगाल में शायद आज भी सबसे अधिक
जनप्रिय रहा है। आज भी उनका कविता और गीत सुनकर हमारे रोम रोम शिहरित हो
उठते हैं।
इसके अलावा उनका लिखा हुआ प्रेमगीत, इसलामी गीत, हँसी के गीत, गज़लें,
साम्यवाद के गीत भी बहुत ही जनप्रिय संगीत रहा है। एक मुसलमान होकर वे हिन्दु
धर्म में दिलचश्पी लिया करते थे। हिन्दु धर्म के भक्तिगीत रचना में भी वे बहुत मशहूर
हुए थे। "मा काली" के भक्तिगीती, जो बंगाल में "श्यामा संगीत" कहलाया जाता है, कवि
नज़रूल इसलाम के रचनाओं से बहुत ही समृद्ध हुआ है। बहुत जनों को यह मालूम ही
नहीं कि कवि नज़रूल का रचा हुआ श्यामा संगीत बंगाल मे आज भी सबसे जनप्रिय
श्यामा संगीत में से है।
उनके, दुसरे धर्मों के प्रति श्रद्धा आज भी एक मिसाल के तरह माना जाता है।
व्यक्तिगत जीवन में भी वे बहुत ही उदार प्रकृति के थे। उन्होने एक हिन्दु औरत से
शादी की लेकिन अपनी स्त्री का घर्म नही बदलने दिया। यह बात हमें सम्राट अकबर
का महानता को याद दिला देता है, जिन्होंने महारानी जोधाबाई को शादी के बाद भी
धर्मांतरित नहीं किया।
यहां हम उनके द्वारा लिखे गये हिन्दी भाषा में गीत पेश कर रहें हैं। आश्चर्य की बात
यह है कि इन गीतों में वे राधा-कृष्ण के प्रेम की वर्णना की है।
बंगला देश स्वाधीन होने के बाद, नज़रूल को जातीय कवि का सम्मान दे कर वहां
आमंत्रण करके ले लिया गया था। बदकिसमती से उन दिनों वे मस्तिश्क के बिमारी
से जूझ रहे थे। वहीं पर उनका देहांत हुआ और बंगला देश सरकार उनको वहीं
दफ़ना दिया। पश्चिम बंगाल में उन्हे वापस न लाया जाने पर जनगण के दिल में
बहुत खोभ पैदा हुआ था। आज भी बंगाल में हमे दुःख होता है कि एक सच्चे
सिक्यूलर इनसान के मृतदेह को सिर्फ धर्म के नाम पर अपने देश में वापस न लाने
दिया गया।
कवि काजी नज़रूल इसलाम के प्रति यहि हमारा श्रद्धांजली है।
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